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भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता: ऑटोमोबाइल सेक्टर को मिलेगा $23 अरब डॉलर तक का फायदा

 भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता: ऑटोमोबाइल सेक्टर को मिलेगा $23 अरब डॉलर तक का फायदा

घरेलू ऑटो कंपनियों के लिए एक्सपोर्ट का नया रास्ता खुलेगा, SIAM ने किया स्वागत

 भारत–यूके

नई दिल्ली, 27 जुलाई 2025

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हाल ही में संपन्न हुए मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) से भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को लगभग $23 बिलियन (₹1.9 लाख करोड़ रुपये) तक के व्यापारिक अवसर मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के शीर्ष संगठन SIAM (Society of Indian Automobile Manufacturers) ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि इससे घरेलू वाहन निर्माता कंपनियों को यूके में ड्यूटी-फ्री एक्सपोर्ट की सुविधा मिलेगी, जिससे उनके व्यापार का दायरा और प्रतिस्पर्धा क्षमता दोनों बढ़ेगी।


क्या मिलेगा भारत को?


 ब्रिटेन की चिंता: अभी भी “लक्ज़री गाड़ियों” पर 30% ड्यूटी

हालांकि, इस समझौते से जहां भारत को बड़ी राहत मिली है, वहीं ब्रिटेन के वाहन निर्माताओं ने इसे “अधूरा लाभ” बताया है। उनका कहना है कि:

“भारत द्वारा लगाई गई 30% की आयात शुल्क अब भी बनी रहेगी, विशेष रूप से लक्ज़री और प्रीमियम गाड़ियों के लिए।”

FTA के शुरुआती चरणों में ब्रिटिश गाड़ियों के लिए बहुत सीमित रियायतें दी गई हैं, और आयात प्रक्रिया जटिल कर ढांचे के चलते चुनौतीपूर्ण बनी रहेगी।


 क्या बोले SIAM और विशेषज्ञ?

SIAM के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने कहा:

“यह समझौता भारतीय निर्माताओं के लिए एक बड़ा अवसर है। निर्यात को गति मिलेगी और ‘मेक इन इंडिया’ को वैश्विक पहचान भी।”

वहीं, ऑटो नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत को कम लागत वाले ऑटो उत्पादों का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन ब्रिटेन को अपेक्षित लाभ पाने के लिए और बातचीत करनी होगी।


 आगे का रास्ता

FTA के तहत भारत और यूके ने तय किया है कि वे हर 12 महीने में समझौते की समीक्षा करेंगे और धीरे-धीरे आयात शुल्कों को तर्कसंगत बनाने पर काम करेंगे। इससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में लक्ज़री कारों के आयात पर भी राहत मिल सकती है।

भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बनकर उभरा है। जहां एक ओर घरेलू कंपनियों के लिए निर्यात के नए द्वार खुल रहे हैं, वहीं ब्रिटेन को अभी भी भारत के शुल्क ढांचे से जूझना पड़ रहा है। यदि आने वाले वर्षों में इस असंतुलन को सुलझा लिया गया, तो यह समझौता दोनों देशों के ऑटो सेक्टर को नए आयाम दे सकता है |

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