RBI की मौद्रिक नीति बैठक: ब्याज दरों में स्थिरता की उम्मीद, दरों में कटौती की अटकलें भी तेज
RBI की मौद्रिक नीति बैठक: ब्याज दरों में स्थिरता की उम्मीद, दरों में कटौती की अटकलें भी तेज
06 अगस्त को होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 6 अगस्त को होने वाली है और बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार RBI अपनी रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रख सकती है। हालांकि, वैश्विक घटनाओं और घरेलू महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए रेट कट की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।
कम महंगाई दर: दरों में कटौती का रास्ता खोलती है?
हाल ही में जून 2025 में जारी किए गए थोक महंगाई दर (WPI) और खुदरा महंगाई दर (CPI) दोनों में नरमी देखने को मिली है। जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महज़ 2.10% पर रहा — जो कि RBI के लक्ष्य 4% से काफी नीचे है। इससे यह संकेत मिलता है कि फिलहाल महंगाई को लेकर केंद्रीय बैंक पर कोई दबाव नहीं है।
अमेरिकी निर्यात टैरिफ का असर
इसके साथ ही, अमेरिका की ओर से कुछ भारतीय निर्यात उत्पादों पर लगाए गए नए एक्सपोर्ट टैरिफ ने वैश्विक व्यापार की चिंता बढ़ा दी है। इससे भारत की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है। ऐसे में बाजार विश्लेषकों का मानना है कि RBI आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज दरों में थोड़ी कटौती कर सकता है, भले ही यह कटौती सीमित हो।
क्या उद्योग जगत के लिए राहत मिलेगी?
कई उद्योग संगठन RBI से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यदि ब्याज दरों में कटौती होती है, तो इससे लोन की ब्याज दरें कम होंगी, जिससे MSME सेक्टर, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों को बड़ी राहत मिल सकती है।
इसके अलावा, सरकार की ओर से बढ़ते कैपेक्स और निजी निवेश को फिर से तेज़ करने के लिए भी सस्ता कर्ज एक जरूरी कदम माना जा रहा है। ऐसे में RBI का रुख अब महज़ महंगाई नियंत्रण से आगे बढ़कर विकास को संतुलित करने की ओर जाता दिख रहा है।
पिछली दरों का इतिहास
RBI ने पिछले कई महीनों से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे लगातार 5.50% पर बनाए रखा है। इसका मकसद था मौद्रिक स्थिरता बनाए रखना और अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देना। हालांकि, महंगाई में गिरावट और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता को देखते हुए नीति में कुछ नरमी की गुंजाइश बनती दिखाई दे रही है।
वित्तीय बाजार और निवेशकों की नज़र
इस खबर का असर पहले ही भारतीय शेयर बाजार और बांड मार्केट पर देखने को मिला है। निवेशक RBI की आगामी घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यदि दरों में कोई कटौती होती है, तो इससे बांड यील्ड में गिरावट और शेयर बाजार में तेजी देखी जा सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक की 6 अगस्त की बैठक से पहले, आर्थिक संकेतक एक संतुलित लेकिन लचीला मौद्रिक दृष्टिकोण की ओर इशारा कर रहे हैं। जहां एक ओर महंगाई नियंत्रण में है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक अनिश्चितताएं भी बढ़ रही हैं। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, हालांकि अधिकांश विशेषज्ञ RBI द्वारा यथास्थिति बनाए रखने की उम्मीद कर रहे हैं।